‘पहले वाला मुझको हिंदुस्तान चाहिए’

– नारायणी साहित्य अकादमी की काव्य गोष्ठी
गिरिडीह : नारायणी साहित्य अकादमी गिरिडीह के तत्वाधान में रविवार को पशुपालन विभाग के सभागार में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसके मुख्य अतिथि राजधनवार आदर्श महाविद्यालय के नवनियुक्त प्राचार्य सुखदेव सिंह थे।  मंचासीन डॉ पूनम, गिरिडीह महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ बलभद्र एवं नारायणी साहित्य की प्रदेश अध्यक्ष  ममता बनर्जी भी थी।
प्रदेश अध्यक्ष  ममता बनर्जी ने अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अपनी कविता से अर्ध्य समर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद  जिला उपाध्यक्षा दिव्या शांडिल्य ने अपनी कविता कुछ तो ऐसा कर , बुझता दीपक फिर जल जाये पेश कर कार्य विमुख तबके को जागृत करने का जबरदस्त प्रयास की।इसके साथ ही अन्य कवियों ने भी एक से बढ़ के एक कविताये पेश की,संजय करुणेश ने कुछ मेरी निगाहों में जँचता नही से खूब वाह- वाही दर्शको से बटोरी, डॉ बलभद्र ने खाली कहने में हो रहा संकोच और पथेरे कविता पेश की,प्राचार्य सुखदेव सिंह की व्यंगात्मक कविता सब पुराणों में श्रेष्ठ है गुण्डा महापुराण सुन कर सभी  हँसते हँसते लोट-पोट हो गए। परवेज शीतल काली हकीकत, राम कुमार ने नयन बोलते है, मोइनुद्दीन शम्शी ने अमन का गीत
गाया जा रहा है, डॉ पूनम कैसे समझाऊ मनमीत तुम्हे, प्रधान डाकपाल गिरिडीह नवीन सिन्हा की अवैध वधशाला बंद हो रही है -तात्कालिक ज्वलंत मुद्दे की कविता ने सभी का ध्यान आकर्षित किया वही उभरते नए प्रतिभा के तौर पर आये डॉ मिथुन आनंद ने एक सौ बीस की  रफ़्तार आपबीती कविता सुना कर सभी की जोरदार तालियाँ बटोरने में कामयाब रहे। अंत में राजेश पाठक ने अपनी सुरमई कविता मुझको नहीं गीता न कुरान चाहिए, पहले वाला मुझको हिंदुस्तान चाहिए सुनाकर सबकी वाहवाही लूटी। इनके अलावा डॉ छोटू प्रसाद, सुरेश वर्मा ने भी अपनी दमदार कविता पेश की।
धन्यवाद् ज्ञापन दिव्या शांडिल्य ने किया। पूर्व की तरह कार्यक्रम काफी सफल रहा। साथ ही  शांडिल्य ने गिरिडीह वासियों का आहवान किया जो भी काव्य और साहित्य प्रेमी है वो इस संस्था से जुड़ कर साहित्य रूपी धरोहर को जीवंत रखे।

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