नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने की ‘पुकार’

  • गिरिडीह के प्रखंड सांख्यिकी पर्यवेक्षक राजेश कुमार पाठक ने की है पुस्तक ‘पुकार’ की रचना
  • चुनाव परिणाम प्राप्त करने के लिए नये मॉडल ‘लीस्ट वोट फ्रीक्वेंसी’ को किया है तैयार

गिरिडीह : कोई भी व्यक्ति यदि वह सरकारी पद पर हों या फिर किसी भी नौकरी
में उच्च पद पर हों तो उनका व्यस्त रहना लाजिमी है और व्यस्तता की वजह से
संवदेना की उनकी अपनी अभिव्यक्ति का प्रदर्शन न हो पाना मजबूरी, लेकिन
गिरिडीह प्रखंड कार्यालय में प्रखंड सांख्यिकी पर्यवेक्षक के पद पर
कार्यरत राजेश कुमार पाठक पद की व्यस्तता के बावजूद अपनी अभिव्यक्ति का
प्रदर्शन कर ही डालते हैं. अभिव्यक्ति की उनकी सबसे बङी उपलब्धि
‘पुकार’नामक कविता संग्रह है, जिसमें उन्होंने पुलिस और नक्सलियों की
मजबूरियों को दर्शाया है और नक्सलियों से मुख्यधारा में लौट आने की अपील
की है. पुस्तक को झारखंड के कई आलाधिकारियों ने पढा है और सराहना की है.
गिरिडीह के ‘मुस्लिम यूथ फेडरेशन’ ने शेख भिखारी साहित्य पुरस्कार 2015
से नवाजा है. यह पुरस्कार सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट ने अपने हाथों से
श्री पाठक को प्रदान किया. इसके अलावा भी श्री पाठक अभिव्यक्ति के
प्रदर्शन की वजह से पुरस्कृत और सम्मानित होते रहे हैं‍. अभी हाल ही में
सिविल सेवा दिवस के मौके पर लेखन एवं आवंटित कार्य का बेहतर निष्पादन
करने के लिए गिरिडीह के उपविकास आयुक्त वीरेंद्र भूषण ने प्रशस्ति पत्र
देकर सम्मानित किया. कविता व कहानी लेखन में बेहतर अभिव्यक्ति के
प्रदर्शन के लिए गिरिडीह झंडा मैदान में आयोजित पुस्तक मेला-2016 में
गिरिडीह के सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने उन्हें शिल्ड देकर सम्मानित
किया. स्वच्छ भारत मिशन के तहत शीतलपुर में जिला प्रशासन की ओर से आयोजित
गौरव यात्रा समारोह में श्री पाठक ने जब स्वच्छता पर रचित अपनी कविता
सुनाई तो उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने उन्हें अपनी माला पहनाकर सम्मानित
किया. श्री पाठक ने योजना बनाओ अभियान पर भी गीत की रचना की है, जिसे
रांची से सभी प्रखंडों में अमल करने के लिए प्रसारित किया गया.
बिहार के खुटाहा-बडहिया में जन्मे श्री पाठक के ताल्लुकात बेरमो से भी
रहा है. बेरमो में उनके पिता स्व. हरिश्चंद्र पाठक हाईस्कूल में शिक्षक
थे. ज्योतिष विद्या में पारंगत उनके पिता ने वहां पत्रकारिता भी की. पिता
की प्रेरणा से ही श्री पाठक को कहानी-कविता लेखन की ओर ध्यान गया.
प्राथमिक शिक्षा बेरमो में करने के बाद बडहिया में बी.ए. और भागलपुर में
एम.ए. किया. इस दौरान उनकी कविता-कहानी लेखन की धार तेज हो रही थी.
कहानी-कविता लेखन के साथ-साथ श्री पाठक सरकारी योजनाओं के मॉडल और चुनाव
सुधार पर भी लेखन किया है. श्री पाठक ने निर्वाचन परिणाम प्राप्त करने
हेतु प्रचलित लॉट प्रणाली के स्थान पर एक नये मॉडल ‘लीस्ट वोट
फ्रीक्वेंसी’ तैयार की है, जिसे निर्वाचन आयोग को भी भेजा गया है.
नौकरियों में आरक्षण का फादर ऑफ डिसेंडेंट ऑउट मॉडल भी तैयार की है. इनकी
कई कहानियां प्रतिलिपि में प्रकाशित हुई है, जिसमें ‘लिट्टियां’ नामक
कहानी गूगल खर्च में पहले स्थान पर आती है.

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